दरवाज़े खुलते हैं तो जैसे
चाँदी की एक जाजिम-सी
बिछती चली जाती है
मेरे भीतर तक
और उस पर देर तक
तैरता रहता है
एक तरल, पारदर्शी संगीत
दरवाज़े बंद होते हैं तो जैसे
गर्मियों की कोई शाम
सड़क किनारे की तपती मिट्टी पर
ठंडा पानी छिड़कती है
एक जवान और ख़ूबसूरत लड़की
दरवाज़े
होंठ हैं तुम्हारे